अंतरिक्ष में चांद का अनोखा नजारा, जानें क्या है स्ट्राबेरी मून और कैसे आएगा नजर, इस बार चूके तो सीधे 18 साल बाद

 

इस साल का स्ट्राबेरी मून कुछ और ही खास है, क्योंकि यह मेजर लूनर स्टैंडस्टिल की एक दुर्लभ खगोलीय घटना के साथ हो रहा है, जिसे अगले 18 साल तक नहीं देखा जा सकेगा। स्ट्राबेरी मून के नाम की कहानी भी दिलचस्प है।

strawberry moon
स्ट्राबेरी मून नाम अमेरिकी किसानों ने दिया हुआ है (फोटो- नवभारतटाइम्स.कॉम)
वॉशिंगटन: अंतरिक्ष में दिलचस्पी रखने वालों के लिए आसमान में दो दशकों के बाद दिलचस्प नजारा हो रहा है, जिसे स्ट्राबेरी मून के नाम से जाना जाता है। इस साल का स्ट्राबेरी मून कुछ और ही खास है, क्योंकि यह मेजर लूनर स्टैंडस्टिल (चंद्र ठहराव) की एक दुर्लभ खगोलीय घटना के साथ हो रहा है, जिसे साल 2043 तक नहीं देखा जा सकेगा। यह ऐसा समय है, जब दो दशक में चंद्रमा हमारे ग्रह पृथ्वी के सबसे पास होता है। तो आइए जानते हैं कि स्ट्राबेरी मून क्या है और इसे कहां पर और कैसे देखा जा सकता है।

क्या है स्ट्रॉबेरीमून?

स्ट्राबेरीमून नाम से ये न समझ लीजिएगा कि यह स्ट्राबेरी के रंग का होगा। जून में होने वाली इस पूर्णिमा के नाम की कहानी अमेरिकी परंपराओं से जुड़ी है। अमेरिका में जून के समय में स्ट्राबेरी की कटाई होती है। यही वजह है कि पुराने में समय में अल्गोंग्विक जनजाति के किसान इसे स्ट्राबेरी मून के नाम से बुलाते थे। 1930 के दशक में इसे व्यापक मान्यता मिली। स्ट्रॉबेरी मून के गुलाबी होने की संभावना नहीं है, लेकिन यह चंद्रोदय या चंद्रास्त के समय नारंगी रंग में हो सकता है।

इस साल क्या है खास?

इस साल का स्ट्राबेरी मून एक प्रमुख चंद्र ठहराव से साथ घटित हो रहा है। चंद्र ठहराव चंद्रमा के 18.6 वर्षीय चक्र में होने वाली उस घटना को कहते हैं, जब यह आकाश में अपने सबसे चरम उत्तरी या दक्षिणी बिंदु पर पहुंचता है। इससे पूर्णिमा क्षितित पर अपने सबसे निचले बिंदु पर उगती और अस्त होती है। यह आकाश में दिलचस्पी रखने वालों के लिए शानदार नजारा प्रस्तुत करता है।

कब आएगा नजर?

स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, स्ट्रॉबेरी मून को न्यूयॉर्क में 11 जून की सुबह देखा जा सकता है। यह सुबह 3.44 बजे पूरी तरह प्रकाशित होगा, लेकिन इसे सुबह सूर्योदय के पहले तक देखा जा सकता है। दुनिया के कई हिस्सों में 11 जून की सुबह इसे देखा जा चुका है, जिसमें भारत भी है।

स्ट्राबेरी मून के दौरान चंद्रमा की डिस्क सामान्य से बड़ी दिखाई देती है, लेकिन असल में ऐसा केवल एक भ्रम के कारण होता है। जून की पूर्णिमा के दौरान चंद्रमा पृथ्वी के क्षितिज के सबसे करीब होता है, जिसके चलते यह अपने आकार से बड़ा दिखाई देता है।
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